हाल ही में शिक्षा जगत में ‘कार्यकारी कार्य’ (Executive Function) शब्द ने विशेष शिक्षा के क्षेत्र में विशेष रूप से ध्यान खींचा है। विशेष जरूरतों वाले छात्रों के लिए सिर्फ विषयवस्तु सिखाना पर्याप्त नहीं होता, बल्कि उनके सोचने, योजना बनाने और समस्याओं का समाधान करने की क्षमता को भी विकसित करना अत्यंत आवश्यक होता है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध बताते हैं कि जिन छात्रों में कार्यकारी कार्य क्षमताओं की कमी होती है, वे अकादमिक और सामाजिक दोनों क्षेत्रों में संघर्ष करते हैं। खासकर ADHD, ASD, Dyslexia जैसे विशेष समूहों में यह एक सामान्य चुनौती होती है।
NEP 2020 और नई शिक्षा पद्धतियों में कार्यकारी कार्य क्षमताओं पर विशेष बल दिया गया है। 2024 से कई राज्यों ने IEP (Individualized Education Plan) में कार्यकारी कार्य प्रशिक्षण को आवश्यक घटक बना लिया है। इसका प्रभाव आने वाले वर्षों में बच्चों की आत्म-निर्भरता और सामाजिक सहभागिता पर सकारात्मक रूप से दिखने की पूरी संभावना है। इस पोस्ट में हम जानेंगे कि किस प्रकार विशेष शिक्षा में कार्यकारी कार्य प्रशिक्षण को प्रभावशाली रूप में लागू किया जा सकता है और इससे छात्र किस प्रकार अधिक सक्षम बन सकते हैं।
1imz_ कार्यकारी कार्य क्या है और विशेष शिक्षा में इसकी भूमिका
कार्यकारी कार्य एक मानसिक प्रक्रिया है जो व्यक्ति को अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों को नियंत्रित करने में मदद करती है। इसमें योजना बनाना, ध्यान केंद्रित करना, लक्ष्य निर्धारित करना, आत्म-नियंत्रण, लचीलापन और कार्य स्मृति जैसे घटक शामिल होते हैं। विशेष शिक्षा में इन क्षमताओं को विकसित करना बच्चों को केवल अकादमिक नहीं बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में अधिक सक्षम बनाता है।
विशेष आवश्यकता वाले बच्चे प्रायः इन कौशलों में कमजोर होते हैं, जिससे वे स्कूल और समाज में असहज महसूस करते हैं। उदाहरण के लिए, एक ADHD छात्र क्लास में ध्यान नहीं दे पाता या कार्यों को समय पर पूरा नहीं कर पाता, जिससे उसकी आत्म-सम्मान पर असर पड़ता है। लेकिन जब उसे नियमित रूप से कार्यकारी कार्य प्रशिक्षण दिया जाता है, तो वह धीरे-धीरे योजना बनाना, समय प्रबंधन और ध्यान केंद्रित करना सीख जाता है।
2imz_ विशेष शिक्षा में कार्यकारी कार्य प्रशिक्षण के घटक
कार्यकारी कार्य प्रशिक्षण में कई महत्वपूर्ण घटक शामिल होते हैं जिन्हें चरणबद्ध तरीके से छात्रों के लिए लागू किया जाता है। ये घटक हैं: कार्य स्मृति प्रशिक्षण, लचीलापन विकास, समय प्रबंधन कौशल, आत्म-नियंत्रण और योजनाबद्ध सोच। यह प्रशिक्षण व्यक्तिगत जरूरतों पर आधारित होता है और इसे IEP के माध्यम से व्यवस्थित किया जाता है।
प्रत्येक घटक को अभ्यास, खेल, कहानी और दृश्य सहायताओं के माध्यम से बच्चों तक पहुँचाया जाता है। उदाहरणस्वरूप, कार्य स्मृति के लिए कार्ड गेम्स और स्टोरी रीकॉल तकनीकें उपयोग की जाती हैं। आत्म-नियंत्रण के लिए ‘स्टॉप-थिंक-डू’ रणनीति का अभ्यास कराया जाता है।
3imz_ व्यवहारिक रणनीतियाँ जो घर और स्कूल दोनों में काम करें
कार्यकारी कार्य प्रशिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए केवल स्कूल ही नहीं, बल्कि घर पर भी सतत अभ्यास आवश्यक है। शिक्षक और अभिभावक मिलकर एक समान दृष्टिकोण अपनाते हैं जिसमें दिनचर्या बनाना, पुरस्कार आधारित प्रेरणा, साप्ताहिक लक्ष्य निर्धारण जैसे तरीके अपनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, हर दिन एक छोटा लक्ष्य निर्धारित करें और उस पर टिके रहने के लिए चेकलिस्ट का उपयोग करें।
यह भी ज़रूरी है कि बच्चे को उसकी प्रगति के लिए सराहना दी जाए। इससे न केवल आत्म-विश्वास बढ़ता है, बल्कि उसमें स्थायी व्यवहारिक बदलाव भी आता है। इस दृष्टिकोण से प्रशिक्षण सिर्फ एक गतिविधि नहीं बल्कि जीवनशैली बन जाता है।
4imz_ तकनीक का उपयोग: डिजिटल टूल्स से बढ़ाएं प्रशिक्षण की गुणवत्ता
आज के डिजिटल युग में कार्यकारी कार्य प्रशिक्षण को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए तकनीकी संसाधनों का उपयोग अत्यंत सहायक होता है। विशेष रूप से मोबाइल एप्स, वर्चुअल रियलिटी, टाइमर ऐप्स और शैक्षिक गेम्स का इस्तेमाल करके छात्रों की रुचि और सहभागिता को बढ़ाया जा सकता है।
जैसे ‘Cozi Family Organizer’ और ‘Choiceworks’ जैसी ऐप्स बच्चों को कार्यों का अनुसरण करने, योजना बनाने और समय प्रबंधन सिखाने में मदद करती हैं। वहीं VR आधारित प्रशिक्षण ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाने में अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रहा है।
5imz_ आकलन और मूल्यांकन: कैसे जानें प्रशिक्षण प्रभावी रहा या नहीं
प्रशिक्षण के परिणामों का मूल्यांकन करना आवश्यक है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कौन से तरीके कारगर साबित हो रहे हैं और किन्हें संशोधित करने की आवश्यकता है। आकलन के लिए विभिन्न टूल्स जैसे ‘Behavior Rating Inventory of Executive Function’ (BRIEF), चेकलिस्ट्स और प्रगति रिपोर्ट का उपयोग किया जाता है।
साप्ताहिक मूल्यांकन और बच्चों की आत्ममूल्यांकन प्रक्रिया को जोड़कर हम अधिक समर्पित और पारदर्शी प्रशिक्षण प्रक्रिया बना सकते हैं। इसके अलावा बच्चों के सामाजिक व्यवहार, आत्म-प्रेरणा और शैक्षणिक प्रगति को भी इस मूल्यांकन में शामिल किया जाना चाहिए।
6imz_ निष्कर्ष: विशेष शिक्षा में कार्यकारी कार्य प्रशिक्षण क्यों है गेम चेंजर
जब विशेष शिक्षा में कार्यकारी कार्य प्रशिक्षण को रणनीतिक रूप से लागू किया जाता है, तो इसका प्रभाव केवल अकादमिक नहीं, बल्कि जीवन की हर गतिविधि पर पड़ता है। यह छात्रों को अधिक जिम्मेदार, व्यवस्थित और आत्मनिर्भर बनाता है। यह न केवल उनके वर्तमान को सशक्त करता है, बल्कि भविष्य में भी उन्हें जीवन की जटिलताओं से लड़ने में सक्षम बनाता है।
शिक्षकों, अभिभावकों और नीति-निर्माताओं को यह समझने की आवश्यकता है कि यह प्रशिक्षण कोई विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता है। यह एक ऐसा निवेश है जिसका प्रतिफल आने वाले वर्षों में छात्र, समाज और देश को समृद्ध बनाएगा।